कठौता झील में सफाई के नाम पर अव्यवस्था, महाप्रबंधक ने जल निगम को लिखा सख्त पत्र

लखनऊ। कठौता झील की डिसिल्टिंग (गाद हटाने) के कार्य में भारी लापरवाही को देखते हुए जलकल विभाग के महाप्रबंधक ने उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय) को पत्र लिखकर सख्त नाराजगी जताई है। महाप्रबंधक ने अपने पत्र में जल निगम को निर्देश दिया है कि तुरंत सफाई कार्य में सुधार किया जाए और सड़क पर फैली मिट्टी व धूल को हटाकर क्षेत्रवासियों को राहत दिलाई जाए।

दरअसल, तृतीय जलकल परिसर में 80 एमएलडी क्षमता वाले जल शोधन संयंत्र के संचालन के लिए झील से गाद निकालने का कार्य जल निगम द्वारा कराया जा रहा है। लेकिन इस काम के दौरान सड़क किनारे बड़ी मात्रा में सिल्ट (गाद) डाल दी गई है, जिससे पूरे क्षेत्र में धूल-मिट्टी का अंबार लग गया है। न तो समय पर मिट्टी हटाई जा रही है और न ही पानी का छिड़काव किया जा रहा है, जिससे धूल उड़कर लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है।

क्षेत्रीय पार्षद श्री शैलेन्द्र वर्मा समेत स्थानीय निवासियों ने लगातार इस लापरवाही की शिकायतें की हैं। स्थानीय निवासी अमरनाथ यादव, विजेंद्र श्रीवास्तव और आदेश वर्मा ने बताया कि सड़कों पर उड़ती धूल के कारण बच्चों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है और बुजुर्ग घरों में कैद हैं। विकल्प खंड की निवासी सरिता भटनागर ने भी शिकायत करते हुए कहा कि खाली प्लॉटों में मिट्टी डंप कर दी गई है, जिससे मुसीबत और बढ़ गई है।

महाप्रबंधक ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि जल निगम की इस लापरवाही से जलकल विभाग और नगर निगम लखनऊ की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। पत्र में निर्देश दिया गया है कि सड़क पर जमा सिल्ट को तुरंत हटाया जाए, नियमित पानी का छिड़काव कराया जाए और सफाई कार्य को तेजी से पूरा किया जाए। साथ ही यह भी कहा गया है कि उठाए गए सुधारात्मक कदमों की जानकारी लिखित रूप से जल्द से जल्द दी जाए।

महाप्रबंधक ने चेतावनी भी दी है कि यदि कार्यों में सुधार नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए विभाग को पत्र भेजा जाएगा। उन्होंने साफ कहा है कि जनता को हो रही असुविधा को हर हाल में दूर किया जाए और जलकल विभाग की प्रतिष्ठा को बनाए रखा जाए।

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